Tuesday 26 August 2014

कसरते-गम में लुत्फे-गमख्वारी, सागरे-मय का काम देती है,
वक्त पर इक लफ्जे-हमदर्दी, इब्ने-मरियम का काम देता है।
-अब्दुल हमीद 'अदम'

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