Sunday 31 August 2014

कुछ लोगों से जब तक मुलाकात हुई थी,
मैं भी यह समझा था, खुदा सबसे बड़ा है।
कुछ मेरे बाद और भी आयेंगे काफिले वाले,
कांटे यहाँ रास्ते से हटालूँ तो चैन लूं।
-'तसव्वर'
किसी के काम आए तो आदमी क्या है,
जो अपनी ही फिक्र में गुजरे वह जिन्दगी क्या है?
-'असर' लखनवी
किसी का रंज देखूँ यह नहीं होता मेरे दिल से,
नजर सैयाद कि झपके तो कुछ कह दूँ अनादिल से।

1.सैयाद - बहेलिया, चिड़िमार, आखेटक, शिकारी
2. अनादिल - अंदलीब का बहुवचन, बुलबुले
कितने हसीन लोग थे जो मिलकर एक बार,
आंखों में जज्ब हो गये, दिल में समा गये।
-अब्दुल हमीद 'अदम'


1.जज्ब - (i) आत्मसात, एक में समाया हुआ (ii) आकर्षण, कशिश

Tuesday 26 August 2014

कितने कांटों की बददुआ ली है,
चन्द कलियों की जिन्दगी के लिए
कसरते-गम में लुत्फे-गमख्वारी, सागरे-मय का काम देती है,
वक्त पर इक लफ्जे-हमदर्दी, इब्ने-मरियम का काम देता है।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
करूँ मैं दुश्मनी किससे कोई दुश्मन भी हो अपना,
मुहब्ब्त ने नहीं दिल में जगह छोड़ी अदावत की।

1.अदावत - दुश्मनी, शत्रुता
एक दिल में गम जमाने भर का क्यो भर दिया,
खू--हमदर्दी ने कूजे मे समन्दर भर दिया।

1.खू - स्वभाव, आदत, फितरत 2. कूजा - मिट्टी का सकोरा
उम्मीदे सुलह क्या हो किसी हकपरस्त से,
पीछे वो क्या हटेगा जो हद से बढ़ा  हो।
-यगाना चंगेजी

1. हकपरस्त - सत्यनिष्ट, सत्य का पुजारी, धर्मात्मा