Thursday, 12 June 2014

कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था खेलने की मस्ती थी दिल भी 

आवारा था

कहां आ गए इस समझदारी के दलदल में वो नादान सा बचपन ही सबसे 


प्यारा था..

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